जौनपुर न्यूज़ -खेती को लाभ का धंधा बनाना अब सपना नहीं रहा। आधुनिक तकनीक, सरकारी योजनाओं और किसान की मेहनत मिलकर किस तरह आर्थिक क्रांति ला सकती हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण जनपद जौनपुर में देखने को मिल रहा है। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार परम्परागत खेती से हटकर स्ट्राबेरी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने में अत्यंत कारगर साबित हो रही है।
पहले स्ट्राबेरी की खेती केवल पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब उद्यान विभाग के मार्गदर्शन और आधुनिक तकनीकों के चलते मैदानी इलाकों के किसान भी इसकी सफल खेती कर रहे हैं। जनपद जौनपुर के किसान इस बदलाव को अपनाकर न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं।
इसी कड़ी में विकासखंड खुटहन के ग्राम सलेमपुर निवासी कृषक कृष्ण कुमार यादव ने परम्परागत खेती के साथ-साथ स्ट्राबेरी की खेती कर एक नई पहचान बनाई है। माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शी सोच और एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना का लाभ उठाते हुए उन्होंने मल्चिंग तकनीक के साथ स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। इसका परिणाम यह रहा कि मात्र चार माह में उनकी मेहनत ने उन्हें लाखों की कमाई दिलाई।
कृषक कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि उन्होंने करीब 80 हजार रुपये की लागत से स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी, जिससे चार माह के भीतर ही 3.5 से 4 लाख रुपये तक की शुद्ध बचत हो जाती है। उद्यान विभाग से मिले तकनीकी सहयोग और बागवानी मिशन के अंतर्गत प्राप्त अनुदान ने उन्हें आधुनिक खेती की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया।
कृष्ण कुमार यादव द्वारा ‘विंटर डाउन’ प्रजाति की स्ट्राबेरी लगाई गई है, जिसकी बाजार में भारी मांग है। यह स्ट्राबेरी स्थानीय बाजार में ही 370 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से आसानी से बिक जाती है, जिससे किसानों को दूर के बाजारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
इसके साथ ही वे आलू, धान, गेहूं, सरसों और गन्ना जैसी फसलों की भी खेती कर रहे हैं। उद्यान विभाग से 90 प्रतिशत अनुदान पर प्राप्त मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से वे अन्य फसलों में भी आधुनिक सिंचाई कर रहे हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ है।
आज जौनपुर के किसान तेजी से परम्परागत खेती छोड़कर उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उद्यान विभाग किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और अनुदान उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्ट्राबेरी की यह सफल खेती न सिर्फ एक किसान की सफलता की कहानी है, बल्कि जनपद के अन्य किसानों के लिए भी नई राह और नई उम्मीद लेकर आई है।
**जौनपुर के किसान ने रचा मिसाल: स्ट्राबेरी की खेती से चार माह में लाखों की कमाई, परम्परागत खेती से बदली तकदीर**
जौनपुर। खेती को लाभ का धंधा बनाना अब सपना नहीं रहा। आधुनिक तकनीक, सरकारी योजनाओं और किसान की मेहनत मिलकर किस तरह आर्थिक क्रांति ला सकती हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण जनपद जौनपुर में देखने को मिल रहा है। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार परम्परागत खेती से हटकर स्ट्राबेरी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने में अत्यंत कारगर साबित हो रही है।
पहले स्ट्राबेरी की खेती केवल पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब उद्यान विभाग के मार्गदर्शन और आधुनिक तकनीकों के चलते मैदानी इलाकों के किसान भी इसकी सफल खेती कर रहे हैं। जनपद जौनपुर के किसान इस बदलाव को अपनाकर न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं।
इसी कड़ी में विकासखंड खुटहन के ग्राम सलेमपुर निवासी कृषक कृष्ण कुमार यादव ने परम्परागत खेती के साथ-साथ स्ट्राबेरी की खेती कर एक नई पहचान बनाई है। माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शी सोच और एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना का लाभ उठाते हुए उन्होंने मल्चिंग तकनीक के साथ स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। इसका परिणाम यह रहा कि मात्र चार माह में उनकी मेहनत ने उन्हें लाखों की कमाई दिलाई।
कृषक कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि उन्होंने करीब 80 हजार रुपये की लागत से स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी, जिससे चार माह के भीतर ही 3.5 से 4 लाख रुपये तक की शुद्ध बचत हो जाती है। उद्यान विभाग से मिले तकनीकी सहयोग और बागवानी मिशन के अंतर्गत प्राप्त अनुदान ने उन्हें आधुनिक खेती की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया।
कृष्ण कुमार यादव द्वारा ‘विंटर डाउन’ प्रजाति की स्ट्राबेरी लगाई गई है, जिसकी बाजार में भारी मांग है। यह स्ट्राबेरी स्थानीय बाजार में ही 370 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से आसानी से बिक जाती है, जिससे किसानों को दूर के बाजारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
इसके साथ ही वे आलू, धान, गेहूं, सरसों और गन्ना जैसी फसलों की भी खेती कर रहे हैं। उद्यान विभाग से 90 प्रतिशत अनुदान पर प्राप्त मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से वे अन्य फसलों में भी आधुनिक सिंचाई कर रहे हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ है।
आज जौनपुर के किसान तेजी से परम्परागत खेती छोड़कर उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उद्यान विभाग किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और अनुदान उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्ट्राबेरी की यह सफल खेती न सिर्फ एक किसान की सफलता की कहानी है, बल्कि जनपद के अन्य किसानों के लिए भी नई राह और नई उम्मीद लेकर आई है।
जौनपुर के किसान ने रचा मिसाल: स्ट्राबेरी की खेती से चार माह में लाखों की कमाई, परम्परागत खेती से बदली तकदीर
जौनपुर। खेती को लाभ का धंधा बनाना अब सपना नहीं रहा। आधुनिक तकनीक, सरकारी योजनाओं और किसान की मेहनत मिलकर किस तरह आर्थिक क्रांति ला सकती हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण जनपद जौनपुर में देखने को मिल रहा है। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार परम्परागत खेती से हटकर स्ट्राबेरी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने में अत्यंत कारगर साबित हो रही है।
पहले स्ट्राबेरी की खेती केवल पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब उद्यान विभाग के मार्गदर्शन और आधुनिक तकनीकों के चलते मैदानी इलाकों के किसान भी इसकी सफल खेती कर रहे हैं। जनपद जौनपुर के किसान इस बदलाव को अपनाकर न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं।
इसी कड़ी में विकासखंड खुटहन के ग्राम सलेमपुर निवासी कृषक कृष्ण कुमार यादव ने परम्परागत खेती के साथ-साथ स्ट्राबेरी की खेती कर एक नई पहचान बनाई है। माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शी सोच और एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना का लाभ उठाते हुए उन्होंने मल्चिंग तकनीक के साथ स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। इसका परिणाम यह रहा कि मात्र चार माह में उनकी मेहनत ने उन्हें लाखों की कमाई दिलाई।
कृषक कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि उन्होंने करीब 80 हजार रुपये की लागत से स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी, जिससे चार माह के भीतर ही 3.5 से 4 लाख रुपये तक की शुद्ध बचत हो जाती है। उद्यान विभाग से मिले तकनीकी सहयोग और बागवानी मिशन के अंतर्गत प्राप्त अनुदान ने उन्हें आधुनिक खेती की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया।
कृष्ण कुमार यादव द्वारा ‘विंटर डाउन’ प्रजाति की स्ट्राबेरी लगाई गई है, जिसकी बाजार में भारी मांग है। यह स्ट्राबेरी स्थानीय बाजार में ही 370 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से आसानी से बिक जाती है, जिससे किसानों को दूर के बाजारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
इसके साथ ही वे आलू, धान, गेहूं, सरसों और गन्ना जैसी फसलों की भी खेती कर रहे हैं। उद्यान विभाग से 90 प्रतिशत अनुदान पर प्राप्त मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से वे अन्य फसलों में भी आधुनिक सिंचाई कर रहे हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ है।
आज जौनपुर के किसान तेजी से परम्परागत खेती छोड़कर उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उद्यान विभाग किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और अनुदान उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्ट्राबेरी की यह सफल खेती न सिर्फ एक किसान की सफलता की कहानी है, बल्कि जनपद के अन्य किसानों के लिए भी नई राह और नई उम्मीद लेकर आई है।
शिवसेंद्र यादव पत्रकार खुटहन
9415938557
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