स्वतंत्र रक्षक न्यूज़ (फ़िक्र चौथे स्तंभ की)
संवाददाता- @अशोक कुमार यादव आज़मगढ़
यूपी के आज़मगढ़ जिले के बरदह थाना क्षेत्र के रहने वाले महफूज खान पुत्र अब्दुल ख़ालिक़ जिनका मूल निवास बसडिला थाना खुखुंदू जनपद देवरिया है।लेकिन पीड़ित पत्रकार अपने ससुराल रसूलपुर तुंगी थाना बरदह आज़मगढ़ रह रहा है। पीड़ित पत्रकार ससुराल में रहकर पत्रकारिता करता हैं।जानकारी के अनुसार पत्रकार पर बरदह थाने के दरोगा बजरंग मिश्र ने पुलिसिया उत्पीड़न कर फर्जी मुकदमें में फंसा कर जेल भेज दिया है। जिस पर सभी पत्रकारों ने इकट्ठा होकर पुलिस उपमहानिरीक्षक आजमगढ़ को ज्ञापन देते हुए बताया कि पत्रकार का दोष बस इतना है कि पत्रकार महफूज ने विकासखंड मार्टिनगंज से एक अंधे व्यक्ति को जांच कराकर आवास दिलवाया।आवास मिल जाने के बाद आंख के अंधे विकलांग आजाद ने घर बनवाने का पूरा जिम्मा पत्रकार को सौंप दिया।काम भी शरू हुआ गांव क्षेत्र के ही बिल्डिंग मटेरियल की दुकान से सामान गया जहां पर गवाही राजनीति हो गई।पत्रकार पर आरोप लगाया गया कि पत्रकार के द्वारा विकलांग आजाद के साथ धोखाधड़ी किया गया।जिसकी शिकायत मिलते ही थाने के दरोगा बजरंग मित्र बिना प्रकरण की जानकारी लिए,बिना पूछताछ किए पीड़ित पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिए।लोगो से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित पत्रकार बेहद इमानदार,सीधा साधा,निर्दोष एवं गरीब तबके का मुसलमान है।जिसकी वजह से लोग जलन रखते थे और हमेशा बदले की भावना रखते थे। जिसका शिकार पीड़ित पत्रकार महफूज हो गया।
भलाई करने की सजा जेल की सलाखों के पीछे जाकर मिल रहा है समाज यह नहीं देखता कि कोई मेरे लिए कितना मदद कर रहा है मौका मिलने पर एक पल के लिए सोचते नहीं है की गलत है या सही और पीछे से खंजर घोप देते हैं।यदि पीड़ित पत्रकार आवास के लिए लड़ाई ना लड़ता तो शायद उसे यह दिन ना देखना पड़ता। ऐसे लोगों की वजह से समाज में कोई किसी की मदद करने के लिए आगे नहीं आता,किसी के बहकावे में आकर लोग मदद करने वालों का गला काट देते हैं। इस घटना के बाद सभी भले जनमानस लोग,लोगों की मदद करने से तौबा ले लिए हैं। सभी पत्रकारों ने कहा कि ऐसे लोगों की मदद करने की बजाय उन्हें उनके हाल पर ही छोड़ देना चाहिए।
पत्रकारों का यह संगठन यह निर्णय किया है कि जब तक कोई उचित कार्यवाही नहीं होगी तब तक लड़ाई जारी रहेगा जरूरत पड़ने पर डीजीपी मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक हमारा पत्रकार संगठन जाएगा और अपनी लड़ाई अपने हक के लिए लड़ता रहेगा यदि पत्रकार दोषी है तो बेशक उसे सजा मिलनी चाहिए लेकिन अगर निर्दोष है तो निर्दोष पर फर्जी कार्यवाही करने वाले पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही होनी चाहिए ऐसा नहीं होता है तो सभी पत्रकार आमरण अनशन करने पर बाध्य हो जाएंगे।
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